पहले के समय में बंदर भी इस तरह से लेते थे सेल्फी…
आजकल लोग कैमरे की क्वालिटी के हिसाब से अपनी मोबाइल सेल्फी चुनते हैं ताकि उनकी सेल्फी अच्छी आ सके। आजकल हर जगह लोग सेल्फी लेते नजर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेल्फी का इतिहास बहुत पुराना है और इसका बंदरों के साथ भी गहरा रिश्ता है। मोबाइल फोन के साथ खुद की एक तस्वीर लेने को आमतौर पर सेल्फी कहा जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस शब्द का उपयोग बहुत बढ़ गया है। आपको शायद इस बात पर यकीन न हो लेकिन यह सच है कि आज से डेढ़ दशक पहले दुनिया की पहली सेल्फी ली गई थी।
दुनिया की पहली सेल्फी 1850 में ली गई थी। हालाँकि, यह आज की तरह एक चमकदार सेल्फी नहीं है, बल्कि एक आत्म चित्र है। यह सेल्फी स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्ताव रीगलैंड की है। बता दें कि इस सेल्फ-पोर्ट्रेट की नीलामी नॉर्थ यॉर्कशायर के मोरोगेट्स ने 70,000 पाउंड यानी लगभग 66.5 लाख रुपये में की थी।
एक दावा है कि पहली सेल्फी 1839 में ली गई थी। यह सेल्फी अमेरिकी फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने ली थी। उन्होंने अपने कैमरे से खुद की फोटो लेने की कोशिश की थी। सेल्फी शब्द का इस्तेमाल पहली बार 13 सितंबर, 2002 को ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट फोरम एबीसी ऑनलाइन द्वारा किया गया था। टाइम पत्रिका ने 2012 के शीर्ष 10 शब्दों में सेल्फी शब्द को स्थान दिया। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने 2013 में सेल्फी ऑफ द ईयर शब्द का नाम दिया।
माना जाता है कि 2011 में धमाकेदार सेल्फी की शुरुआत हुई थी, जब इंडोनेशिया में ब्रिटिश वन्यजीव फोटोग्राफर डेविड स्लेटर का कैमरा बटन दबाकर एक मकाऊ बंदर ने सेल्फी ली थी।